20.3.09

......और मर गई वो बच्ची

अपनी पिछली पोस्ट में हुल्लड़ के दौरान जिस लड़की (बच्ची) की चर्चा की थी वह अब इस दुनिया में नहीं रही। अपने ऊपर हुए पौरिशिक लैंगिक जुल्म का इलाज कराते-कराते सभी तरह के कष्टों से मुक्त हो गई।

जीत हुई उन नर पिशाचों की जो खुलेआम तो खून नहीं पीते पर अपने अंगों (गुप्त) के द्वारा बच्चियों का खून पीते हैं। कोई पूछेगा उनसे की होली में की गई इस शारीरिक क्रिया से उन्हें क्या सुख मिला?


कोई नहीं पूछेगा.......लड़की को ही छिनाल, बेहया, बेशर्म कहा जायेगा।


फूलों का एक गुच्छा उस बच्ची के नाम


(गूगल से साभार लिया है)

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