होली का दिन.......
हुल्लड़ करने वालों की भीड़.....
दस-ग्यारह वर्ष की लड़की (इसे बच्ची ही कहेंगे शायद?)......
रंगों की फुहार......
बच्ची का घेरना......
और फ़िर कुछ देर बाद..............
खून से लथपथ सनी बच्ची........
अब अपने बड़े हो जाने (या करवा दिए जाने ) का दर्द सहना .........
इसे क्या कहेंगे.......बलात्कार.....सेक्स.....हुल्लड़......या होली की उमंग?
ऐसे गुजर गई इस बार हमारे शहर में होली........
ye dard to hamesha rahega....
ReplyDeleteशर्मनाक ..जाने कब तक बच्चियां भूखे भेडिओं की भेंट चढ़ती रहेंगी.
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