सुख के चरम खोजने में कल बहुत से नवयुवक-युवतियों को बेइज्जती का सामना भी करना पड़ा। चरम सुख क्या है और कैसा है यह वही जानता है जो इस सुख को प्राप्त करचुका हो। विचार ये करना चाहिए कि क्या शारीरिक सुख ही चरम सुख है। कहा जाता है कि प्यार की शुरुआत चेहरे से शुरू होकर क्रमशः नीचे की ओर होती है। जितनी देर प्यार का आरम्भ चेहरे में लगाता है उससे कहीं ज्यादा समय वह देह की मांसलता को जांचने में लगा देता है।
शरीर के उभार, शरीर का कटान, देह की माप आदि-आदि क्या कुछ नहीं है जो किसी भी अच्छी भली स्त्री को उत्पाद बना देती है। कुछ स्त्रियां अपने स्वरूप से खुद को उत्पाद बनातीं हैं किन्तु अधिकतर स्त्रियों को पुरुषों की निगाहें ही उत्पाद बनातीं हैं। कपड़ों के ऊपर से भी नंगा कर देने की ताकत रखने वाली कामुक निगाहों का परिणाम होता है कि स्त्री को कुलटा तक कह दिया जाता है।
बहरहाल सुख की चाह हो या फिर तृप्ति के लिए किसी शरीर की मांग, सब में शरीर ही सर्वोपरि हो जाता है। क्या कभी कोई ऐसा दिन आयेगा जबकि प्यार की पहचान शरीर की माप से ऊपर, शरीर की गोलइयों से इतर नारी के व्यक्तित्व के रूप में पुरुष करेगा? अपने आसपास समान कार्य करने की स्थिति में भी नारी उसकी निगाहों से स्वयं का बलात्कार होते महसूस नहीं करेगी?
15.2.09
चरम सुख की चाह, शरीर की मांग
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आप सच कहती हैं की नारी की खूबसूरती को अमूमन जिस्म से ही मापा जाता है , मगर में तो ये मानता हूँ कि ये तस्वीर का सिर्फ एक पहलू है . हम अपने आस पास जैसे लोग देखते हैं , जैसे लोगों से मिलते हैं , उसी के अनुसार अपनी राय बना लेते हैं . आप अपने विचारों को शब्द देना जारी रखिये . कभी न कभी आपको ऐसे लोग मिल ही जायेंगे जो आपको ये सोच बफलने को मजबूर कर देंगे कि खूबसूरती विचारों से भी मापी जाती है .
ReplyDeleteआखिरी में आपने पूछा है कि वो दिन कभी आएगा कि..........??और मैं आपको बताये दे रहा हूँ कि वो दिन कभी नहीं आएगा.....हाँ जिस दिन कुत्ते की पुँछ सीधी हो जायेगी तब जरूर यह सम्भव हो..........!!
ReplyDeleteआपकी पिछली चीज़ें भी देखी मैंने.........और आपमें भविष्य में आते हुए उबाल को भी मैं अभी से ही देख पा रहा हूँ..............बस ब्लॉग पर इस तस्वीर का अर्थ मैं नहीं समझ पाया.........!!
ReplyDeletepoora blag vichar yogy to hai
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