आते तो हैं वे हमारे ब्लाग पर मगर खुद को दर्शाते भी नहीं। कल से आज तक हमारे ब्लाग पर आने वालों की संख्या में कुल 22 का इजाफा हुआ किन्तु टिप्पणी करने के मामले में एक भी सामने न आया। क्या टिप्पणी ‘गिव एण्ड टेक’ का मामला है?
क्योंकि देखा है कि कोई अपना टेम्पलेट बदलने तक की सूचना देता है तो टिप्पणियों के ढेर लग जाते हैं। कोई ब्लाग पढ़ने की सूची देता है तो भी लोग लग जाते हैं टिप्पणी देने में। कोई तो अपने पूरे परिवार के नाम पर ब्लाग बनाये है, कोई दे या न दे वे खुद ही दर्जनों के भाव से टिप्पणी लगा देते हैं।
अरे यारों, अब तो कर दो एक दो टिप्पणीं यहाँ भी। वैसे टिप्पणियों का शौक नहीं क्योंकि अपने मीडिया के शौक में वैसे भी बहुत टिप्पणी खाने को मिलतीं हैं।
हाँ, यदि हमारी फोटो के डर से टिप्पणी न करते हो कि कहीं कोई देख न ले कि नंगी लड़की वाली फोटो वाले ब्लाग को पढ़, देख रहे हैं या उस पर टिप्पणी की दी है तो कोई बात नहीं।
सड़क पर ऐसी हालत वाली मिल जाये तो लार बना-बना कर निहारोगे?
चलो कोई बात नहीं, ऐसी बात है तो दो-चार दिन में ये वाली फोटो मैं हटा लूँगी। तब देखने भी न आओगे, इस ब्लाग को क्योंकि अभी कुछ तो दिखता है, है न?
इस पर दो पंक्तियाँ याद आतीं हैं-
‘अंदाज अपने देखते हैं आइने में वो,
और ये भी देखते हैं कि कोई देखता न हो।’
चलो छोड़ो....
कित्ती तो गलत बात है। लोग टिपियाते नहीं। लेकिन वर्ड वेरीफ़िकेशन तो हटायें। हमने तो आपकी पोस्ट की चर्चा कड्डाली।http://chitthacharcha.blogspot.com/2009/05/blog-post_16.html
ReplyDeleteफोटो से तो शायद नहीं घबरायेंगे...
ReplyDeleteअच्छा लिखो, फिर फिर आयेंगे.
हमारा क्या, कल हम हों न हों..
:)
ब्लॉग में कुछ लिखा हो तो कुछ कमैंट करें। ऐसी तस्वीरें दिखाकर भला कोई क्या लिखे और रही देखने की बात, तो इससे भी नग्न तस्वीरें देखने को मिल जाती हैं। आज हम आधुनिकता के मायने ही नंगा होकर रहने से लगाते हैं। आप टिप्पणियों के लिए क्यों लिखना चाहते हैं।आपके ब्लॉग पर मैं इसलिये नहीं आया कि आपने नंगी तस्वीर लगा दी है, मेरा आना इसलिये हुआ कि चिट्ठा चर्चा में आपके ब्लॉग के बारे में पढ़ा। आप लिखते जाईये, टिप्पणियाँ बिन माँगे आ जाएँगी। टिप्पणियाँ कैसे आती हैं आप भाई समीर लाल जी का उड़नतश्तरी देख सकते हैं या फिर डॉ. अनुराग का ब्लॉग। अगर आपके पास लिखने का या किसी हुनर का डेरा है तो टिप्पणियाँ ज़रूर लार टपका सकती हैं भला एक तस्वीर क्या कर सकती है। आशा है कि आगली बार आप कुछ लिखेंगे और हमारे जैसे लोग टिप्पणी के लिए बार-बार आएँगे।
ReplyDeleteयह तो ज़ाहिर है, कि नँगी पीठ तुम्हारी / आपकी नहीं है, सो इस पर न अटकते हुये मेरा एक सीधा सवाल है.. क्या ब्लागिंग केवल टिप्पणियों पर ही टिकी है ? अधिक टिप्पणियाँ, मायने बेहतरीन पोस्ट ? तुम / आप सरासर गलत नज़रिये पर हैं ।
ReplyDeleteऔर टिप्पणियाँ ... बकौल आपके आप इससे अघायी हुई हैं । बल्कि आपको तो बाली उमरिया से ही कमेन्ट मिलने लग पड़ा होगा, बशर्ते यह चिकनी पीठ आपकी / तुम्हारी ही है तो ? फिर मीडिया में टिप्पणियाँ मिलती रहीं, वह बोनस में ?
यह भूख कब मिटेगी, ओ पावन ओस की बूँद ?
यहाँ फ़र्क नहीं पड़ता, प्रोतिमा बेदी से अधिक बड़ी सेलेब्रिटी तो आप हैं नहीं .. मैंने तो उनको भी ज़ूहू बीच पर मादरज़ाद नँगी हालत में दौड़ते देखा है । अभी हाल में रेखा गुप्ता ( साहू ) को भी इसी तरह अपना विरोध प्रकट करते देखा है । जिसके पास नेट उपलब्ध हो, और इतना ही तलबगार हो, तो वह सैकड़ों साइट पर जाकर वह हरकुछ देख सकता है, जो आपके पास शायद हो भी नहीं ?
इतने शब्द जाया करने के बाद, आपको यह बता दूँ, कि बिटमैप इमेज़ से जे.पी.ई.जी. में बदल लेने मात्र से नँगी पीठ के स्रोत की चुगली स्वतः ही हो जाती है ! अनूप जी को क्या कहूँ, बेवज़ह ही रस ले लेकर आपको पब्लिसिटी दिये जा रहे हैं !
खुश रहिये, यूँ ही दिखलाते रहिये !
पाना चाहते हैं ओस की बूँद सी पावनता और पास रखना चाहते हैं पल भर को.........!!!
ReplyDeleteaapka about me padhaa, achi line hai. aur achha likhiye, sachha likhiye, sab aayenge.
Wasie aana-jaana to duniya ka khel hai, iskee moh maaya mein kyun padti hain, likhtee rahiye dheere dheere sab aayenge :)
लो जी मेरी भी टिप्पणी
ReplyDeleteहमें किसी से डर नहीं, न फोटो से न हमारा नाम देखने वालों से
हम तो सबसे नंगी साईटों पर भी जाते हैं जी
प्रणाम
वर्ड वेरिफिकेशन के कारण टिप्पणी करने में दिक्कत होती है
ReplyDeleteहो सके तो इसे हटा दें