9.9.09

आए हैं पलंग से उठ कर


आज लगभग तीन माह बाद आपके सामने हूँ। कभी सोचती थी किशायद ऐसा मौका ही नहीं आएगा जब मैं अपने किसी भी काम से बहुत दिनों तक दूर रहूंगी। इधर वक्त ने आइना दिखाया और पिछले दो माह एक तरीके से पलंग पर गुजरे।

इस दौरान अध्ययन किया, कुछ नईबातें सीखी। आब आए हैं तो मिलना जुलना होगा ही।